भारतवर्ष की दशा इस समय बड़ी दयनीय है। एक धर्म के अनुयायी दूसरे धर्म के अनुयायियों के जानी दुश्मन हैं। अब तो एक धर्म का होना ही दूसरे धर्म का कट्टर शत्रु होना है।...
ऐसी स्थिति में हिन्दुस्तान का भविष्य बहुत अन्धकारमय नज़र आता है। इन ''धर्मों'' ने हिन्दुस्तान का बेड़ा ग़र्क कर दिया है। और अभी पता नहीं कि यह धार्मिक दंगे भारतवर्ष का पीछा कब छोड़ेंगे। इन दंगों ने संसार की नज़रों में भारत को बदनाम कर दिया है। और हमने देखा है इस अन्धविश्वास के बहाव में सभी बह जाते हैं। कोई बिरला ही हिन्दू, मुसलमान या सिख होता है, जो अपना दिमाग ठण्डा रखता है, बाक़ी सबके सब धर्म के ये नामलेवा अपने नामलेवा धर्म के रौब को क़ायम रखने के लिए डण्डे-लाठियॉं, तलवारें-छुरे हाथ में पकड़ लेते हैं और आपस में सिर फोड़-फोड़ कर मर जाते हैं। बाकी बचे कुछ तो फांसी चढ़ जाते हैं और कुछ जेलों में फेंक दिये जाते हैं। इतना रक्तपात होने पर इन ''धर्मजनों'' पर अंग्रेज़ी सरकार का डण्डा बरसता है और फिर इनके दिमाग का कीड़ा ठिकाने पर आ जाता है।
12 Sept 2008
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