21 Sept 2008

भगतसिंह ने कहा... 'आम भारतीय को विदेशी पूँजीपतियों के साथ ही भारतीय पूँजीपतियों के हमलों से भी ख्‍़ातरा है'

भारत साम्राज्‍यवाद के जुवे के नीचे पिस रहा है। इसमें करोड़ों लोग आज अज्ञानता और ग़रीबी के शिकार हो रहे हैं। भारत की बहुत बड़ी जनसंख्‍या जो मज़दूरों और किसानों की है, उनको विदेशी दबाव एवं आर्थिक लूट ने पस्‍त कर दिया है। भारत के मेहनतकश वर्ग की हालत आज बहुत गम्‍भीर है। उसके सामने दोहरा ख्‍़ातरा है - विदेशी पूँजीवाद के धोखे भरे हमले का दूसरी तरफ़ से और भारतीय पूँजीवाद के धोखे भरे हमले का दूसरे तरफ़ से। भारतीय पूँजीवाद विदेशी पूँजी के साथ हर रोज़ बहुत से गँठजोड़ कर रहा है।...

भारतीय पूँजीपति भारतीय लोगों को धोखा देकर विदेशी पूँजीपति से विश्‍वासघात की क़ीमत के रूप में सरकार में कुछ हिस्‍सा प्राइज़ करना चाहता है। इसी कारण मेहनतकश की तमाम आशाऍं जब सिर्फ़ समाजवाद पर दिकी हैं और सिर्फ़ यही पूर्ण स्‍वराज्‍य और सब भेदभाव ख्‍़ात्‍म करने में सहायक साबित हो सकता है। देश का भविष्‍य नौजवानों के सहारे है। वही धरती के बेटे हैं।

-- 'हिन्‍दुस्‍तान सोशलिस्‍ट रिपब्लिकन असोसिएशन' के घोषणापत्र से

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार इस प्रस्तुति के लिए.