4 Nov 2007

बर्बरता के सामने नतमस्तक होना है या उसे उखाड़ फेंकना है?

बर्बरता के सामने नतमस्तक होना है या उसे उखाड़ फेंकना है?
ये तय करना है हमें...अभी! इसी वक्त!!


हमने टेलीविज़न पर गुजरात नरसंहार के हत्यारों और बलात्कारियों को शान के साथ यह बताते सुना कि उन्होंने निहत्थे-निर्दोष लोगों पर अपने घिनौने और पाशविक पौरुष का प्रदर्शन करके कैसा महसूस किया!! इन बर्बरों ने बच्चों, गर्भवती स्त्रियों, बूढ़ों तक को नहीं बख्शा! एक स्टिंग ऑपरेशन में कैमरे के सामने इन हत्यारों ने जिस तरीक़े से ताल ठोंककर अपने अपराधों का बखान किया उससे किसी भी सभ्य और संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा अन्दर तक हिल जायेगी और उन बेगुनाह स्त्रियों, पुरुषों और बच्चों की चीखें उसके कानों में गूँजने लगेंगी। अपने जिन घिनौने अपराधों पर इन हत्यारों ने गर्व प्रकट किया उन्हें सुनते ही उबकाई आने लगती है। सरकार, न्यायालय और प्रशासन ने इन बर्बर नरभक्षियों को पकड़ने और इनके साथ उचित न्याय करने की बजाय उन्हें छुट्टा घूमने के लिए खुला छोड़ रखा है। गुजरात के हिटलर नरेन्द्र मोदी की सरकार से उम्मीद भी क्या की जा सकती है? या फिर कांग्रेस की केन्द्र सरकार से ही क्या उम्मीद की जा सकती है जो 'सेक्युलर-सेक्युलर' चिल्लाते हुए ज़रूरत पड़ने पर खुद भी नर्म साम्प्रदायिक हिन्दू कार्ड खेलने से बाज़ नहीं आती? या संसदीय वामपंथियों से क्या आशा की जाये जो साम्प्रदायिकता-विरोध के नाम पर संसद-विधानसभाओं में ही नपुंसक विमर्श करते रहने के अलावा और कुछ नहीं करते?

गुजरात में जो हुआ था वह कोई साम्प्रदायिक दंगा नहीं था। यह साम्प्रदायिक फासीवादी संघ परिवार द्वारा किया गया सोचा-समझा नरसंहार था। सरकार और प्रशासन इन नरसंहारों को व्यवस्थित रूप से आयोजित करने का काम कर रहे थे। इन नरसंहारों की तुलना पहले के किसी भी साम्प्रदायिक दंगों से नहीं की जा सकती, जिनमें दो सम्प्रदायों के लोग पूँजीपरस्त नेताओं द्वारा उकसावे के कारण धार्मोन्माद में आकर एक-दूसरे को मारते थे। गुजरात में जो हुआ वह मुसलमानों के 'सफाये' की एक सुनियोजित फासीवादी मुहिम थी जिसे पूरी बर्बरता के साथ संघ परिवार ने चलाया। इसकी तुलना सिर्फ नाज़ियों द्वारा जर्मनी में यहूदियों के 'सफाये' मुहिम से ही की जा सकती है। गुजरात के हत्यारे-बलात्कारी हिटलर-मुसोलिनी जैसे फासीवादियों की ही जारज औलादें हैं! गुजरात इनकी आखिरी करतूत नहीं थी। इस तरह के नरसंहार करने का प्रयास ये फासीवादी जहाँ भी सम्भव होगा वहाँ करेंगे। अभी गुजरात जिन्दा जला दिये गये निर्दोष लोगों और बलात्कृत स्त्रियों और बच्चों की लाशों की चिरायंधा से मुक्त नहीं हुआ है! जिनकी आत्मा इसमें घुट नहीं रही है और बग़ावत नहीं कर रही है उनमें, और बाबू बजरंगी सरीखे हत्यारों-बलात्कारियों में कोई ख़ास फ़र्क नहीं रह जायेगा!! गुजरात हमारे विवेक, हमारी आत्मा और हमारी संवेदनशीलता पर लगा एक बदनुमा धब्बा है! जब तक हम साम्प्रदायिक फासीवाद और इन हत्यारों को इतिहास के कचरापेटी के हवाले करने की मुहिम में अपनी पूरी ताक़त के साथ नहीं जुट जाते, तब तक गुजरात के कत्ल कर दिये गये बच्चों, बलात्कृत स्त्रियों और बेगुनाह लोगों की चीखें और कराहें हमारी अन्तरात्मा का पीछा करती रहेंगी और हमसे पूछती रहेंगी क्या एक अरब से ज्यादा आबादी के इस देश के युवाओं और नागरिकों की संवेदना मर चुकी है, उनकी वीरता चुक गयी है, उनका विवेक नपुंसक हो गया है?

गुजरात का नरसंहार जिन नौजवानों की आत्मा को बैचेन नहीं कर देता वे नौजवानी के नाम पर कलंक हैं! उनकी इंसानियत चुक गयी है। शहीदे-आज़म भगतसिंह ने कहा था कि जब गतिरोध की स्थिति लोगों को जकड़ लेती है तो इंसानियत की रूह में हरक़त पैदा करनी होती है नहीं तो प्रतिक्रियावादी ताक़तें जनता को ग़लत राह पर ले जाने में सफल हो जाती हैं। आज शहीदे-आज़म ही हमसे पूछ रहे हैं क्या इस विशाल देश में कुछ लाख नौजवान भी ऐसे नहीं हैं जो इस देश के लोगों की इंसानियत की रूह में हरक़त पैदा करने के लिए कुछ भी कर गुज़रने का तैयार हों?

आपके जवाब के इन्तज़ार में,
नौजवान भारत सभा दिशा छात्र संगठन

20 Jul 2007

सभी संवेदनशील साथियों को धन्‍यवाद

युवा राजनीतिक कार्यकर्ता योगेश स्‍वामी के सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद इस ब्‍लॉग में एक अपील दी गई थी, जिस पर देश-विदेश से कई संवेदनशील साथियों ने सहयोग और शुभकामनाएं भेजीं। हम योगेश और स्‍मृति संकल्‍प यात्रा से जुड़े़ सभी साथियों की तरफ से उन सभी को धन्‍यवाद देते हैं। योगश को जल्‍द ही अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज कर दिया जाएगा, लेकिन अभी उनका इलाज काफी लंबा चलेगा और पेट में सुरक्षित रखी गई सिर की हड्डी को वापिस जोड़ने के लिए एक और ऑपरेशन किया जाएगा। इसके लिए आप सभी के सहयोग की दरकार है। पत्र-पत्रिकाओं और ब्‍लॉग के माध्‍यम से हम एक बार फिर सभी संवेदनशील और सामाजिक सरोकार रखने वाले साथियों से उनके इलाज को जारी रखने में मदद के लिए अपील करते हैं :

एक युवा राजनीतिक कार्यकर्ता के आपात चिकित्‍सा कोष के लिए अपील


मित्रो,
'आह्वान' टीम के सक्रिय सदस्‍य योगेश स्‍वामी (25 वर्ष) नौजवान भारत सभा, दिल्‍ली के कार्यकर्ता हैं। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के 75वें हादत दिवस (23 मार्च, 2005 ) से भगतसिंह जन्‍मशताब्‍दी वर्ष के समापन (28 सितम्‍बर, २००8) के बीच के तीन वर्षों के दौर क्रान्तिकारियों के विचारों के व्‍यापक प्रचार-प्रसार और नई सामाजिक क्रान्ति के आह्वान के लिए चलाई जा रही 'स्‍मृति संकल्‍प यात्रा' में वह पूर्णकालिक तौर पर सक्रिय थे। इसी यात्रा के दौरान वह अपनी प्रचार टोली के साथ एक अभियान पर निकले हुए थे जब गत 19 जून की सुबह दिल्‍ली के वजीराबाद पुल के पास अन्‍धाधुन्‍ध रफ्तार से आती एक जीप ने उन्‍हें टक्‍कर मार दी। प्रचार टोली के दो साथी आशीष (इनके पैर और कमर में तीन फ्रैक्‍चर हैं) और योगेश कुमार भी गम्‍भीर रूप से ज़ख्‍मी हुए पर वे खतरे से बाहर हैं।


योगेश स्‍वामी को गम्‍भीर हालत में सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर लाया गया जहां बदइन्‍तज़ामी और लापरवाही के चलते कई घण्‍टे बाद पता चला कि उनके मस्तिष्‍क में गहरी चोट है और और तत्‍काल उनके मस्तिष्‍क का अत्‍यन्‍त जटिल आपरेशन करना पड़ेगा। उस के बाद उन्‍हें फौरन गंगाराम अस्‍पताल ले जाया गया जहां उनके मस्तिष्‍क के दो ऑपरेशन हो चुके हैं।
उन्‍हें होश आ चुका है और एक-दो दिन में उन्‍हें कुछ दिनों के लिए अस्‍पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। उनके सिर के दाहिनी ओर की पूरी हड्डी अभी निकली हुई है जिसे जोड़ने के लिए कुछ सप्‍ताह बाद एक और आपरेशन के लिए उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती होना होगा। उनके मस्तिष्‍क और शरीर को सामान्‍य स्थिति में लाने के लिए महीनों तक उन्‍हें विशेष देखभाल और इलाज की जरूरत होगी।
पिछले 6-7 वर्षों से योगेश सामाजिक-राजनीतिक कार्रवाइयों में सक्रिय रहे हैं। भूमण्‍डलीकरण-उदारीकरण की नीतियों के खिलाफ क्रान्तिकारी प्रचार अभियानों, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में छात्रों की समस्‍याओं को लेकर चलने वाले आन्‍दोलनों से लेकर नागरिक समस्‍याओं के समाधान के लिए या पुलिस दमन-उत्‍पीड़न के विरुद्ध चलने वाले आन्‍दोलनों में वे हमेशा अगली कतार में रहे हैं। मजदूर इलाकों में राजनीतिक प्रचार तथा सामाजिक सुधार के कामों से भी वे जुड़े हुए हैं। वे युवा सांस्‍कृतिक टोली 'विहान' के भी सक्रिय सदस्‍य हैं तथा छात्रों-युवाओं से जुड़े मसलों पर पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहे हैं। 'आह्वान' के पाठकों को पिछले अंकों में उनकी टिप्‍पणियों की याद होगी।
योगेश स्‍वामी के परिवार में सिर्फ उनके तीन भाई हैं और वे सभी नौजवान भारत सभा के समर्पित कार्यकर्ता हैं।
तरुणाई के दिनों से ही सा‍माजिक बदलाव के लक्ष्‍य के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले इस नौजवान की प्राणरक्षा के लिए जारी अपील पर देशभर से तत्‍काल बड़ी संख्‍या में लोगों ने प्रतिसाद दिया और उन सबसे मिले सहयोग की बदौलत ही योगेश का अब तक का इलाज जारी है। हम उन सबसे आभारी हैं। इसने हमारे इस विश्‍वास को मज़बूत बनाया है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं के जीवन को मूल्‍यवान समझने वाले और गहन मानवीय सरोकार वाले लोगों की समाज में कमी नहीं है। छात्र-युवा कार्यकर्ताओं की टोलियां पारी बांधकर दिन-रात अस्‍पताल में योगेश की देखभाल में जुटी रही है।
हम कृतसंकल्‍प है कि चाहे जितने भी लम्‍बे इलाज और देखभाल की जरूरत हो हम इस नौजवान को सामान्‍य स्थिति में लायेंगे। पर हमें इसमें आपका भी सहयोग चाहिए। हम सामाजिक सरोकार रखने वाले सभी संवेदनशील, प्रबुद्ध नागरिकों, छात्रों, युवाओं, बुद्धिजीतियों से अधिकतम सम्‍भव आर्थिक मदद करने के लिए पुरजोर अपील कर रहे हैं। आप अपना सहयोग मनी आर्डर द्वारा या दिल्‍ली में देय चेक या ड्राफ्ट द्वारा 'जय पुष्‍प' के नाम से नीचे दिये गये 'स्‍मृति संकल्‍प यात्रा' के पते पर भेज सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए आप इन नम्‍बरों, ईमेल और पतों पर सम्‍पर्क कर सकते हैं :
अभिनव : 09213243755, शिवानी : 099110555017, सत्‍यम : 09312967616

ईमेल : ईमेलsmriti.sankalp@gmail.com" href="mailto: , abhinav_disha@rediffmail.com, satyamvarma@gmail.com
http://www.smritisankalp.blogspot.com/


ईमेल
smriti.sankalp@gmail.com" href="mailto:

1 Jul 2007

भगतसिंह ने कहा...

नौजवान भारत सभा, लाहौर का घोषणापत्र






इतालवी पुनरुत्थान के प्रसिद्ध विद्वान मैजिनी ने एक बार कहा था, ''सभी महान राष्ट्रीय आन्दोलनों का शुभारम्भ जनता के अविख्यात या अनजाने, गैरप्रभावशाली व्यक्तियों से होता है, जिनके पास समय और बाधाओं की परवाह न करने वाला विश्वास तथा इच्छा-शक्ति के अलावा और कुछ नहीं होता।'' जीवन की नौका को लंगर उठाने दो। उसे सागर की लहरों पर तैरने दो और फिर -




लंगर ठहरे हुए छिछले पानी में पड़ता है।


विस्‍‍तृत और आश्चर्यजनक सागर पर विश्वास करो जहां ज्वार हर समय ताजा रहता है


और शक्तिशाली धाराएं स्वतंत्र होती हैं -


वहां अनायास, ऐ नौजवान कोलम्बस


सत्य का तुम्हारा नया विश्‍व हो सकता है।


28 Jun 2007

भगतसिंह ने कहा...

नौजवान भारत सभा, लाहौर का घोषणापत्र (एक अंश)





युवकों के सामने जो काम है, वह काफी कठिन है और उनके साधन बहुत थोड़े हैं। उनके मार्ग में बहुत सी बाधाएं भी आ सकती हैं। लेकिन थोड़े किन्‍तु निष्‍ठावान व्‍यक्तियों की लगन उन पर विजय पा सकती है। युवकों को आगे जाना चाहिए। उनके सामने जो कठिन एवं बाधाओं से भरा हुआ मार्ग है, और उन्‍हें जो महान कार्य सम्‍पन्‍न करना है, उसे समझना होगा। उन्‍हें अपने दिल में यह बात रख लेनी चाहिए कि ''सफलता मात्र एक संयोग है, जबकि बलिदान एक नियम है।'' उनके जीवन अनवरत असफलताओं के जीवन हो सते हैं ' गुरू गोविन्‍दसिंह को आजीवन जिन नारकीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, हो सकता उससे भी अधिक नारकीय परिस्थितियों का सामना करना पड़े। फिर भी उन्‍हें यह कहकर कि अरे, यह सब तो भ्रम था, पश्चाताप नहीं करना होगा।




नौजवान दोस्‍तो, इतनी बड़ी लड़ाई में अपने आपको अकेला पाकर हताश मत होना। अपनी शक्ति को पहचानो। अपने ऊपर भरोसा करो। सफलता आपकी है।

23 Jun 2007

सामाजिक सरोकार रखने वाले सभी संवेदनशील नागरिकों, छात्रों-युवाओं, बुद्धिजीवियों से एक अपील

मित्रो,
एक छात्र-युवा पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता एक सड़क दुर्घटना के बाद मौत से जूझ रहा है।
योगेश स्वामी (24 वर्ष) नौजवान भारत सभा, दिल्ली के कार्यकर्ता हैं। शहीद भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के 75वें शहादत दिवस (23 मार्च, 2005) से भगतसिंह जन्मशताब्दी वर्ष के समापन (28 सितम्बर, 2008) के बीच के तीन वर्षों के दौरान क्रान्तिकारियों के विचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार और नई सामाजिक क्रान्ति के आह्वान के लिए चलाई जा रही 'स्मृति संकल्प यात्रा' में वह पूर्णकालिक तौर पर सक्रिय थे। इसी यात्रा के दौरान वह अपनी प्रचार टोली के साथ एक अभियान पर निकले हुए थे जब गत 19 जून की सुबह दिल्ली के वजीराबाद पुल के पास अंधाधुंध रफ्तार से आती एक जीप ने उन्हें टक्कर मार दी। प्रचार टोली के दो और साथी आशीष और योगेश कुमार भी गम्भीर रूप से जख्मी हुए हैं पर वे खतरे से बाहर हैं।
योगेश स्वामी को गम्भीर हालत में सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर लाया गया जहां बदइन्तज़ामी और लापरवाही के चलते कई घण्टे बाद पता चला कि उनके मस्तिष्क में गहरी चोट है और तत्काल उनके मस्तिष्क का अत्‍यन्त जटिल ऑपरेशन करना पड़ेगा। उसके बाद उन्हें फौरन गंगाराम अस्पताल ले जाया गया जहां उनके मस्तिष्क के दो ऑपरेशन हो चुके हैं। उनके सिर की हड्डी बुरी तरह टूट गई है और मस्तिष्क में गहरी चोट आई है। मस्तिष्क से खून के थक्के दो बार हटाए जा चुके हैं पर रक्तस्राव पूरी तरह रुका नहीं है। अभी तक वे अचेत हैं और डॉक्टरों का कहना है कि अभी उनके कई और ऑपरेशन करने पड़ेंगे। सर्जरी के बाद भी उन्हें कुछ महीने अस्पताल में रहना पड़ेगा और उसके बाद मस्तिष्क और शरीर सामान्य स्थिति में आने तक उनका महीनों लम्बा और बेहद खर्चीला इलाज चलेगा।
योगेश स्वामी के परिवार में सिर्फ उनके तीन भाई हैं और वे सभी नौजवान भारत सभा के समर्पित कार्यकर्ता हैं।

पिछले 6-7 वर्षों से योगेश सामाजिक-सांस्कृतिक कार्रवाइयों में सक्रिय रहे हैं। भूमण्डलीकरण- उदारीकरण की नीतियों के विरुद्ध चलने वाले अभियानों-आन्दोलनों में वे बढ़चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों की समस्याओं को लेकर चलने वाले आन्दोलनों से लेकर नागरिक समस्याओं के समाधान के लिए या पुलिस दमन-उत्पीड़न के विरुद्ध चलने वाले आन्दोलनों तक में वे हमेशा अगली कतार में रहे हैं। मजदूर इलाकों में राजनीतिक शिक्षा तथा सामाजिक सुधार के कामों से भी वे जुड़े हुए हैं। वे युवा सांस्कृतिक टोली 'विहान' के भी सक्रिय सदस्य हैं तथा छात्रों-युवाओं से जुड़े मसलों पर पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहे हैं।
तरुणाई के दिनों से ही सामाजिक बदलाव के लक्ष्य के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले इस नौजवान के जीवन की हर कीमत पर रक्षा करने के लिए हम कृतसंकल्प हैं। पर हमें इसमें आपका सहयोग चाहिए। हम सामाजिक सरोकार रखने वाले सभी संवेदनशील, प्रबुद्ध नागरिकों, छात्रों, युवाओं, बुद्धिजीवियों से अधिकतम संभव आर्थिक मदद करने के लिए पुरजोर अपील कर रहे हैं। आप अपना सहयोग मनीआर्डर द्वारा या दिल्ली में देय चेक या ड्राफ्ट द्वारा 'जय पुष्प' के नाम से भेज सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए आप इन नम्बरों, ईमेल और पतों पर सम्पर्क कर सकते हैं :


अभिनव : 09213243755, शिवानी : 09911055517, सत्यम : 09312967616


ईमेल : smriti.sankalp@gmail.com, abhinav_disha@rediffmail.com, satyamvarma@gmail.com

अभिनव सिन्हा समन्वय डेस्क, स्मृति संकल्प यात्रा
दिशा छात्र संगठन द्वारा , सत्यम
ए-67, क्रिश्चियन कॉलोनी सी-74, एसएफएस फ्लैट्स,
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली-110007 सेक्टर-19, रोहिणी, दिल्ली-110089

22 Mar 2007

क्रान्तिकारी नवजागरण के तीन वर्ष

एक बार फिर
महान शहीदों की स्‍मृतियों और विरासत से
संजोना है संकल्‍प और विवेक का ईंधन
और प्रज्‍जवलित करनी है
नये संघर्षों की आग,
भविष्‍य-स्‍वप्‍नों से ढालनी हैं इस्‍पाती मुक्ति-परियोजनाएं।
उठो, देश के युवा शिल्पियों,
चलो जनजीवन की कार्यशाला में
गढ़ने के लिए स्‍वस्‍थ-सकर्मक जीवन-ऊष्‍मा से स्‍पन्दित यथार्थ।
पूंजी की रक्‍त-पिपासु सत्‍ता के विरुद्ध
निर्णायक न्‍याय-युद्ध के सेनानियों,
चलो प्रतीक्षारत जनता के बीच
प्रबल चक्रवाती झंझा को आमंत्रण देते हुए।

साथियो,
एक जिन्‍दा कौम की युवा पीढ़ी गुजरे हुए अतीत को वापस लाने का ख्‍वाब नहीं देखती, बल्कि वह अतीत से सबक लेती है, अपने पूर्वज क्रान्तिकारियों और शहीदों की स्‍मृति से प्रेरणा और विचारों से दिशा लेती है तथा कठिनतम चुनौतियों से जूझती हुई भविष्‍य-निर्माण के महासमर में सन्‍नद्ध हो जाती है।
वर्ष 2005-2006 भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव, चंद्रशेखर आजा, यतीन्‍द्रनाथ दास की शहादत का पचहत्‍तरवां वर्ष था। यही वर्षचंद्रशेखर आजाद का जन्‍मशताब्‍दी वर्ष भी था। सितम्‍बर 2008 को भगतसिंह के जन्‍मशताब्‍दी वर्ष का भी समापन हो। चटगांव विद्रोह के 75 वर्ष, नौसेना विद्रोह के 60 वर्षऔर 1857 के प्रथम स्‍वाधीनता संग्राम के 150 वर्ष भी इसी दौरान पूरे होंगे।यह अवसर इस देश के नौजवानों के लिए अपनी ऐतिहासिक जिम्‍मेदारी की याददिहानी का अवसर है। यह ‘नयी प्रेरणा, नये संकल्‍प, नयी शुरुआत’ का अवसर है। इसीलिए23 मार्च 2005 से लेकर 28 सितम्‍बर 2008 के बीच के इन तीन वर्षों को, एक नई क्रान्ति का सन्‍देश जन-जन तक पहुंचाने वाली स्‍मृति संकल्‍प यात्राओं के माध्‍यम से क्रान्तिकारी नवजागरण के तीन ऐतिहासिक वर्ष बना देने के लिए हम कृ‍तसंकल्‍प हैं।
भगतसिंह की वीरता और कुर्बानी से तो पूरदेश परिचित है लेकिन इस देश के पढ़-लिखे नौजवान तक यह नहीं जानते कि 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में फांसी का फन्‍दा चूमने वाला वह जांबाज नौजवान कितना ओजस्‍वी, प्रखर और दूरदर्शी विचारक था! यह हमारी जनता का दुर्भाग्‍य है और सत्‍ताधारियों की साजिश का नतीजा है। अब यह हमारा काम है कि हम भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों को जन-जन तक पहुंचाएं, उनकी समृति से प्रेरणां लें और उनके विचारों के आलोक में अपने देशकाल की परिस्थितियों को समझकर नई क्रान्ति की दिशा तय करें और फिर उस राह पर दृढ़तापूर्वक बढ़ें।
भगतसिंह और उनके साथियों ने अपने लेखों, बयानों और पर्चों में साफ शब्‍दों में और बार-बार यह कहा था कि उनका लक्ष्‍य केवल व्रिटिश साम्राज्‍यवादियों की औपनिवेशिक गुलामी का खात्‍मा ही नहीं है, बल्कि उनकी लड़ाई साम्राज्‍यवाद और देशी पूंजीवाद के विरुद्ध लम्‍बे ऐतिहासिक संघर्ष की एक कड़ी है।उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया था कि क्रान्तिकारी थैलीशाहों के लिए नहीं, बल्कि 90 फीसदी आम मेहनतकश जनता के लिए आज़ादी और जनतंत्र हासिल करना चाहते हैं और साम्राज्‍यवाद- सामन्‍तवाद के खात्‍मे के बाद पूंजीवाद को भी नष्‍ट करके एक ऐसी समाजवादीव्‍यवस्‍थाकायम करना चाहते हैं जिसमें उत्‍पादन, राज-काज और समाज के ढांचे पर आम मेहनतकश जनता काबिज हो।
क्रान्तिकारियों का यह सपना साकार नहीं हो सका। एक अधूरी, खण्डित आज़ादी के बाद, साम्राज्‍यवाद से सांठगांठ किए हुए देशी पूंजीवाद के ज़ालिम शासन के जुवे को ढोते-ढोते आधी सदी से अधिक समय बीत चुका है। आजादी और जनतंत्र के सारे छल-छद् म उजागर हो चुके हैं। मुट्ठीभर मुफ़्तखोरों की जिन्‍दगी में चमकते उजाले के बरक्‍स आम लोगों की जिन्‍दगी का अंधेरा गहराता चला गया है। सभी चुनावबाज़ पूंजीवादी पार्टियों के साथ ही अपने लक्ष्‍य से विश्‍वासघात कर चुकी नकली वामपंथी पार्टियों का गंदा चेहरा भी नंगा हो चुका है। अब रास्‍ता सिर्फ एक है। विकल्‍प सिर्फ एक है। हमें भगतसिंह के दिखाए रास्‍ते पर आगे बढ़ने का संकल्‍प लेना ही होगा। इसीलिए हम भारत के नौजवानों का आह्वान करते है: ‘’भगतसिंह की बात सुनो। नई क्रान्ति की राह चलो।’’
भगतसिंह के विचार क्षितिज पर अनवरत जलती मशाल की तरह हमें दिशा दिखला रहे हैं। अब गांव-गांव और शहर-शहर में और तमाम कालेजों-विश्‍वविद्यालयों में नौजवानों और छात्रों को नए सिरे से अपने क्रान्तिकारी संगठन बनाने होंगे। उन्‍हें चुनावबाज़ मदारियों का पिछलग्‍गू बनने से बचना होगा। इसके बाद, जैसा कि जेल की कालकोठरी से युवाओं को भेजे गए अपने संदेश में भगतसिंह ने कहा था, छात्रों-नौजवानों को कारखानों के मज़दूरों और गांव की झोपडि़यों तक जाना होगा और तमाम मेहनतकशों को संगठित करना होगा। यही संदेश लेकर हम इस देश के हर जीवित युवा हृदय तक पहुंचना चाहते हैं।
साथियो! बैठे-बैठे सोचते रहने से तो हर राह मुश्किल लगती है। राह की कठिनाइयों को। यात्रा शरू करने के बाद ही दूर किया जा सकता है। भगतसिंह और उनके साथियों का सपना एक जलता हुआ प्रश्‍न बनकर हमारी आंखों में झांक रहा है। उनकी विरासत हमें ललकार रही है और भविष्‍य हमें आवाज़ दे रहा है। एक ज़िन्‍दा क़ौम के नौजवान इसकी अनसुनी नहीं कर सकते। हम एक नई क्रान्ति की तैयारी के लिए, एक नए क्रान्तिकारी नवजागरण का सन्‍देश पूरे देश में फैला देने के लिए आपका आह्वान करते हैं।
क्रान्तिकारी अभिवादन सहित,
-नौजवान भारत सभा
-दिशा छात्र संगठन

समृति संकल्‍प यात्रा के इन तीन वर्षों के दौरान
-क्रान्तिकारी छात्रों-नौजवानों की यात्रा टोलियां गांव-गांव और शहर-शहर का दौरा करते हुए देश के अधिकतम हिस्‍से तक पहुंचने की कोशिश करेंगी, छात्रों-युवाओं और आम लोगों तक नई क्रान्ति का सन्‍देश पहुंचाएंगी और एकजुट होकर देशव्‍यापी, नए क्रान्तिकारी छात्र संगठन और नौजवान संगठन बनाने के लिए उनका आह्वान करेंगी।
- ये यात्रा टोलियां सभी चुनावबाज़ पूंजीवादी और नकली वामपंथी पार्टियों तथा ट्रेडयूनियनों के धन्‍धेबाज़ों से छुटकारा पाकर नये क्रान्तिकारी जनसंघर्ष के लिए एकजुट और संगठित होने के लिए आम मेहनतकश जनता का आह्वान करेंगी।
- गांव-शहरों और कालेजों-विश्‍वविद्यालयों में नौजवानों और छात्रों के क्रान्तिकारी संगठन बनाने का काम भी साथ-साथ चलता रहेगा।
- हमसफ़र बनने वाले नौजवानों को साथ लेकर ज्‍़यादा से ज्‍़यादा नई यात्रा टोलियां बनायी जाएंगी।
- यात्रा टोलियों के साथ ही सचल सांस्‍कृतिक दस्‍ते भी देश के विभिन्‍न हिस्‍सों का दौरा करेंगे।
इस मुहिम के समर्थक नागरिकों के सहयोग से यात्रा टोलियों के आवश्‍यक व्‍यय के अतिरिक्‍त बड़े पैमाने पर विभिन्‍न भारतीय भाषाओं में भगतसिंह और उनके साथियों के दस्‍तावेज़ों का प्रकाशन और वितरण किया जाएगा। इसके साथ ही क्रान्तिकारी विचारों, क्रान्तिकारी इतिहास और देश की वर्तमान दुरवस्‍था के कारणों से परिचित कराने वाला साहित्‍य भी प्रकाशित और वितरित किया जायेगा। इस काम में राहुल फ़ाउण्‍डेशन, परिपकल्‍पना प्रकाशन, शहीद भगतसिंह यादगारी प्रकाशन और दस्‍तक प्रकाशन हमारे सहयोगी होंगे।
- इस विशेष अवसर पर स्‍मृति चिह्नों के रूप में पोस्‍टर, कैलेण्‍डर, चित्र-कार्डों के सेट, डायरी आदि भी प्रकाशित किए जाएंगे।
- शिक्षा संस्‍थानों और बौद्धिक सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों में विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जायेगा।
- स्‍मृति संकल्‍प यात्रा की लक्ष्‍यपूर्ति की दृष्टि से उपयोगी सुझावों के आधार पर अन्‍य कार्यक्रम भी लिये जा सकते हैं।

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सम्‍पर्क:
* बी-100, मुकुन्‍द विहार, करावल नगर, दिल्‍ली-110094, फोन: 011-65976788
* रूम न.-3, ए-67, क्रिश्चियन कालोनी, पटेल चेस्‍ट के निकट, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय, दिल्‍ली, फोन: 9213243755/ 9911055517
* डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020, फोन:0522-2786782
* 16/6, वाद्यम्‍बरी हाउसिंग स्‍कीम, अल्‍लापुर, इलाहाबाद, 09415646383
* संस्‍कृति कुटीर, कल्‍याणपुर, गोरखपुर, फोन: 0551-2241922
* नोएडा, फोन: 09211273360
* गाजियाबाद, फोन: 09891993332
* लुधियाना, फोन: 09463339621
* डा. दूधनाथ, जनगण होम्‍यो सेवासदन, मर्यादपुर
ई मेल: smriti_sankalp@yahoo.com, smriti.sankalp@gmail.com

Three years of revolutionary renaissance

(23rd March, 2005 - 28th September, 2008)

We make a call to the youth of this country to build a nation which Bhagat Singh and his comrades had visualised and we invite you to fulfill their dream of emancipating the masses. Trust our commitment and determination and join us in this campaign.

Friends,
It has been 76 years since the martyrdom of Bhagat Singh and his comrades. The three years between 23 March 2005 and 28 September 2008 have a great historical importance as this period will mark the birth centenary years of many revolutionaries of that generation. History is knocking at our doors once again. Should we let this country remain to be a tragic picture of the shattered dreams of these revolutionaries? Will the youth of this country be mere spectators, will they keep crawling like boneless creatures making compromises at each step to attain their selfish goals. Will they accept the burden of a handful of exploiters over the overwhelming majority which is the real producer of the wealth of this nation, and will they accept to be mere pawns of this or that political party?
Will our country remain to be the open hunting ground of national and international capital while we pretend to keep our eyes closed?
No!!!....Never!!!
We believe that there is no lack of courageous youth who will take up the struggle against this realm of injustice and insanity. What is needed is a courageous proactive step for a new beginning. It is for this initiative that we call upon all the youth of this country.
The 75th martyrdom year of Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru began from March 2005. This was also the 75th year of martyrdom of Ganesh Shankar Vidyarthy who not only provided shelter to the revolutionaries but was also the editor of revolutionary newspaper like "Pratap". 13th September 2005 was the 75th anniversary of the martyrdom of revolutionary Yatindra Nath Das while the 75th year of martyrdom of Chandrashekhar Azad was on 27th February 2006 and his birth centenary year started from 23rd July 2006. 18th April 2005 year was the 75th anniversary of Chatgaon revolt. February 2006, was the 60th anniversary of the courageous Navy revolt and May 2007 will mark the 150 years of the First War of Indian Independence. The birth centenary year of Bhagat Singh will commence from 28th September 2006 which will end in September 2008. This is a great opportunity for the youth of this country to recall and realize their historical responsibility.
Friends, we are committed to make these three years from 23rd March 2005 till 28th September 2008 the historical years of revolutionary renaissance by the medium of Smriti Sankalp Yatras. These yatras will take the message of a new revolution to each heart in all corners of the country. We call upon you to be a part of this campaign.

The whole country knows about the bravery and sacrifice of Bhagat Singh. But a large number of educated youth do not know how enlightened and farsighted this courageous young man was who laid down his life cheerfully at the young age of 23.
This is a great misfortune of the masses and is result of the conspiracy of the rulers. Now it is our responsibility to take the ideas of Bhagat Singh and his comrades to the people, derive inspiration from them and to set forth the direction of a new revolution by understanding the prevailing conditions of the country and society in the light of their ideas and to march ahead with determination in the direction shown by them.
Bhagat Singh and his comrades have repeatedly and clearly stressed in their articles, letters, pamphlets that their aim was not only the elimination of colonial slavery of British imperialism, but that their struggle was a link in the long historical struggle against imperialism and Indian capitalism. They alerted even at that time that the congress was misusing the power of the people to transfer the reins of the country into the hands of the Indian capitalists and its struggle will culminate into a form of compromise with imperialism. They clarified that the aim of the revolution was to attain the freedom and democracy not for 10 percent rich but for the 90 percent population which belongs to the working class and that their wish was to eliminate capitalism too after imperialism-feudalism and to establish a system in which the production, administration and society is under the control of the working class.
This dream of the revolutionaries could not be fulfilled. After the betrayal of independence more than half a century has passed under the burden of the autocratic rule of the Indian capitalist class aligned with world imperialism. All the treachery in the name of freedom and democracy has now been exposed. In contrast to the luxurious life of a few exploiters the life of a vast majority of common public is sunk into the sea of darkness and despair. The dirty face of all electoral capitalist parties along with the pseudo leftist parties has been revealed. Now there is only one way. There is only one alternative. We will have to take the path shown by Bhagat Singh. Therefore we call upon the youth of the nation:
"Listen to the words of Bhagat Singh,
Take the path of a new revolution!!!"
The ideas of Bhagat Singh are showing us the path. The need is to form revolutionary organizations of students and youth in colleges/universities in all villages, towns and cities. They need to be restrained from falling pawns to the tricks of electoral jugglers. After this, as Bhagat Singh wrote to the youth from his cell, students and youth will have to reach the laborers in the factories and slums and the huts in the villages and organize the working masses. This is the message that we want to take to every soul.
Friends, if we just sit down and think then every path looks difficult. The difficulties of the path can only be cleared after we start our journey. The dream of Bhagat Singh and his comrades is staring into our eyes like a burning question. Their heritage is challenging and future is beckoning us. The youth and an alive nation can not ignore it. To prepare for a new revolution, to spread the message of a new revolutionary renaissance we make a call to all of you.

With revolutionary greetings,
- Naujavan Bharat Sabha
- Disha Student's Organization



During these three years of Smriti Sankalp Yatra
Ø Mobile teams of revolutionary students-youth will try to reach maximum possible parts of the country traveling through villages and towns. They will spread the message of a new revolution among student-youth and common public throughout the country and will call upon them to unite and form new revolutionary student and youth organizations
Ø These mobile teams will call upon the working masses to break away from all electoral capitalist and leftist parties and trade unions and unite and organize themselves for revolutionary mass struggle.
Ø The formation of revolutionary organizations of students and youth in colleges-universities shall be done side by side.
Ø Willing youth shall be inducted to form more and more mobile squads.
Ø The mobile teams shall be accompanied with mobile cultural squads.
Ø With the cooperation of the people sympathizing with this campaign apart from the expenditure of the teams the revolutionary literature of Bhagat Singh and his comrades shall be published and distributed. Along with this literature dealing with revolutionary ideas, revolutionary history and the reasons of the present miserable condition of the country shall also be distributed. Rahul Foundation, Parikalpana Prakashan, Shaheed Bhagat Singh Yadgari Prakashan and Dastak Prakashan will be our partners.
Ø On this auspicious occasion posters, calendars, cards, diaries and other memorabilia shall also be published and distributed.
Ø Seminars will be organized in educational institutes and intellectual and cultural centers.
Ø To fulfill the goals of Smriti Sankalp Yatra other programs may be undertaken based on valuable suggestions.


To participate or co-operate in the Smriti Sankalp Yatra you can contact in person or write to any of these co-ordination centers:
1. B-100, Mukund Vihar, Karawal Nagar, Delhi-110094 (main co-ordination center) Phone: (011) 65976788
2. Room N0. 3, A-67, Christian Colony, Near Patel Chest Instt. Delhi University North Campus
3. D-68, Niralanagar, Lucknow-226020, Phone: (0522) 27867782
4. 16/6, Vadyambari Housing Scheme, Allapur, Allahabad. Phone: 0941564383
5. Sanskriti Kutir, Kalyanpur, Gorakhpur-273001, Phone: (0551) 241922
6. Noida: 09211273360
7. Ghaziabad: 09891993332
7. Dr. Doodhnath, Jangan Homeo Sewa Sadan, Maryadpur, U.P.
8. Ajaypal, Ludhiana, Phone: 09888655663/09888841568

Email: 1) smriti_sankalp@ yahoo.com
2) smriti.sankalp@gmail.com
Website: www.smritisankalp.org (under construction)

21 Mar 2007

come! join us!!


Sankalp YatraThree days intensive cycle march in Delhi, Noida & Ghaziabad on the occasion of the martyrdom of Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru


Students and youth activists of Disha Students Organization and Naujawan Bharat Sabha will organize a cycle march on the occasion of the martyrdom of revolutionaries Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru. The march will commence on the morning of 21st March from the Jubilee Hall hostel of Delhi University and will cover many parts of Delhi, Noida and Ghaziabad before culminating on the evening of 23 March at Delhi University.The activists will hold several street corner meetings along the way and will distribute pamphlets exhorting the youth to come forward for a new revolutionary struggle to fulfill the dreams of the martyrs.
Revolutionary songs and street plays will be presented by "Vihaan", a cultural team of students of Delhi University. Exhibition of books on the lives and ideals of revolutionaries and posters will also be organized at several places along the way.
Programme of the first day (21 March) Start from Jubilee Hall, DU campus: 7 AMMeeting and cultural programme after garlanding the statues of Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev at Shaheed Park,Ferozeshah Kotla (near ITO): 11 AMMeetings and cultural programme at various points in Luxminagar,Patpargunj, Mayur Vihar area: 12.00 to 5 PM Revolutionary Concert and books/posters exhibition at Shopping Complex near Samachar Apartments: 5.30-6.30 PM

Abhinav Sinha, Disha Students Organization

Ashish, Naujawan Bharat Sabha